गर्मी के मौसम में देश के अधिकांश हिस्सों में पानी की समस्या विकराल
रूप धारण कर लेती है और इस समस्या से धमतरी जिला भी अछूता नहीं है। राजधानी
रायपुर, भिलाई सहित अन्य जिलों को साल भर पानी उपलब्ध कराने वाला धमतरी
जिले का गंगरेल डेम आज खुद सूखे की चपेट में आकर सूखने की कगार पर आ गया
है। इस विकट समस्या को समझते हुए कलेक्टर सुश्री नम्रता गांधी ने जिले में
नारी शक्ति से जल शक्ति अभियान के तहत् जल जगार उत्सव मनाने की योजना बनाई,
जिसका मुख्य उद्देश्य रैन वाटर हार्वेस्टिग, रूफटर्फ वाटर और वेस्ट वाटर
मेनेजमेंट के माध्यम से शुद्ध पानी को भूमि के अंदर भेजना है। अभियान
अंतर्गत जिले के 4 विकासखंडों के 5-5 ऐसे गांव जिनमें पानी की समस्या रहती
है, उनका चयन किया।
प्रथम चरण में जल की महत्ता को समझते हुए भारत सरकार की जल शक्ति मंत्रालय
के विशेषज्ञों के सहयोग से जिला स्तरीय अधिकारियों हेतु 3 दिवसीय कार्यशाला
का आयोजन जिला पंचायत के सभाकक्ष में किया गया। जल शक्ति मंत्रालय के
विशेषज्ञों ने भू जल मुद्दों से निपटने की तकनीको के बारे में विस्तृत
जानकारी दी। द्वितीय चरण में जिले में संचालित सभी निजी स्कूलों, हास्पीटल,
रेस्टोरेंट सहित ऐसे भवन जिनका आकार बड़ा है, उन्हें 15 जून तक अनिवार्य
रूप से अपने भवन के समीप रेन वाटर हार्वेस्टिंग और रूफटर्फ वाटर स्ट्रक्चर
बनाने के निर्देश दिये गये।
धमतरी जिले के कुरूद विकासखंड अंतर्गत आने वाले नवागांव थुहा जल जगार
कार्यक्रम की शुरूआत की गयी। जहां ग्रामीणों ने एक स्वर में जल संरक्षण की
शपथ ली। इस अवसर पर गांव में जल संरक्षण की दिशा में अच्छा काम करने वाले
ग्रामीणों को सम्मानित भी किया गया। गांव में अन्य लोगों को भी जल सरंक्षण
की दिशा में काम करने हेतु प्रोत्साहित किया गया। पीकू - जिले में जल
संरक्षण के संबंध में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से कलेक्टर सुश्री
गांधी के मार्गदर्शन में लोगो तैयार किया गया है साथ ही छोटे-छोटे वीडियो
क्लिप्स भी बनाए गए हैं, जिसके जरिए जिलेवासियों को घरों में पानी का
सदुपयोग करने, पानी बचाने की विधि सहित खेतों में कम पानी वाले फसलों के
संबंध में प्रेरित किया गया है।
धमतरी जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में गांवों में जल जगार कार्यक्रम प्रति
दिन आयोजित किये जा रहे है। इस दिशा में ग्रामीणों में जल संरक्षण संबंधी
जागरूकता हेतु कार्यक्रम के दो-तीन दिवस पूर्व रैलियां, दीवार लेखन,
तालाबों व जल स्त्रोतों की सफाई आदि कार्य कर माहौल तैयार किया जा रहा है।
जल संरक्षण की दिशा में बीते कई वर्षाे से कार्य करने वाले श्री नीरज
वानखेडे को भारत सरकार ने वाटर हीरो जल प्रहरी की पदवी से सम्मानित किया
है। वे जिले के इन पानी की कमी से जुझने वाले गांवों में जाकर जल जगार
कार्यक्रम अंतर्गत ग्रामीणों को पानी की महत्ता को समझा रहे है। साथ ही
श्री नीरज वानखेडे़ रेन वाटर हार्वेस्टिंग, रूफटर्फ वाटर स्ट्रक्चर और
वेस्ट वाटर मेनेजमेंट की तकनीक भी समझा रहे है, जिसे लेकर ग्रामीणों में जल
संरक्षण को लेकर जागरूकता निर्मित हो रही है।
तालाबों में जल संरक्षण हेतु गाद निकालने, समुचित सफाई करने टीम द्वारा
किया गया सर्वे जिले के पांच नगर पंचायत क्षेत्र आमदी, भखारा, नगरी,मगरलोड
एवं कुरूद नगर पंचायत क्षेत्र में विभिन्न तालाबों में गाद जमा है जिसके
कारण तालाबों के पानी की गुणवत्ता एवं भंडारण क्षमता क्षमता प्रभावित हो
रही है। इन्हें साफ करने हेतु रायपुर की एन.आई.टी टीम द्वारा सर्वे किया
जायेगा।
एन आई टी द्वारा धमतरी शहर के संपूर्ण 40 वार्ड क्षेत्र से निस्तारी गंदे
पानी एवं वर्षा जल की समुचित निकासी हेतु ड्रेनेज सिस्टम का संपूर्ण
मूल्यांकन और मानचित्रण के माध्यम से धमतरी शहर में जल भराव वाले हॉटस्पॉट
की पहचान करने, जल निकासी की बुनियादी ढांचे और स्टॉर्म वॉटर में सुधार के
लिए एवं बाढ़ की स्थिति को कम करने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार करने हेतु
टीम
द्वारा सर्वे किया किया गया है। यह टीम आगामी कुछ दिनों में अपनी
रिर्पाेट प्रस्तुत करेगी, जिसके बाद निगम द्वारा कार्यवाही की जायेगी।
कलेक्टर सुश्री नम्रता गांधी की इस पहल को जिले के सामाजिक एवं स्वयंसेवी
संगठनांे का पूरा सहयोग मिल रहा है। भारतीय जैन संघटना द्वारा कुरूद ब्लॉक
के ग्राम मड़ेली तथा जी जामगांव में तालाबों को पुनर्जीवित कर जल संरक्षण का
कार्य किया जा रहा है। तालाबों से निकली मिट्टी को खेतों की उर्वरक क्षमता
बढ़ाने के लिए खेतों में डाला जा रहा है। भारतीय जैन संघटना शाखा धमतरी
द्वारा जल निकायों का पुनरूद्धार के तहत ग्राम पंचायत जी जामगांव के
उल्लाही खार तालाब में 14 मई से 28 मई तक कार्य किया गया। इसमें 2 जेसीबी
लगाया गया, जिसमें 1948 ट्रेक्टर मिट्टी निकाला गया।
जिले में संचालित सभी औद्योगिक इकाईयां जैसे-अरवा, उसना, राईस मिल, कोल्ड
स्टोरेज, फ्लाई एश ब्रिक्स सहितं अन्य औद्योगिक संस्थाओं में केन्द्रीय
भूजल बोर्ड के मानकों के अनुपालन हेतु आयोजित कार्याशाला में दिये गये
निर्देश के परिपालन में जिले में अब तक कुल 225 इकाईयों का पंजीयन पूरा हो
गया है। इनमें 79 राईस मिल, 7 फ्लाई एश ब्रिक्स एवं 2 उद्योगों द्वारा
पंजीयन पूरा किया गया और उद्योगों द्वारा स्वयं पंजीयन भी किया गया।
पानी का संरक्षण करने और उसके दुरूपयोग को रोकने के लिए जिला प्रशासन
द्वारा जिले में जल जगार उत्सव मनाया जा रहा है। पानी के गिरते हुए स्तर से
चिंतित होकर कमार आदिवासी भी स्वयं की जमीन में वर्षा जल को संचित करने के
लिए वचनबद्ध हैं। जिले के वनांचल आदिवासी बाहुल्य नगरी विकासखण्ड के ग्राम
पीपरहीभर्री के 36 कमार परिवारों ने वन अधिकार अधिनियम के तहत उन्हें मिले
जमीन पर जल संरक्षण और संवर्द्धन की दिशा में तीन कमार आदिवासी परिवार
जहां मछली पालन के लिए तालाब बनाए हैं, वहीं बारिश के पानी को रोकने के लिए
10 डबरियों का भी निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा गांव के समीप से
गुजरने वाले नाला में डाईक संरचना बनाई जा रही है, जिससे पानी का स्तर ऊंचा
उठे और जमीन पर नमी बनी रहे। कमार आदिवासी परिवार वनों को हरा-भरा बनाए
रखने और वन्य प्राणियों की प्यास बुझाने तथा आने वाले समय में पानी की कमी
से निजात पाने के लिए मुस्तैदी से जल संरक्षण की दिशा में कार्य को कर रहे
हैं।
जल संरक्षण की दिशा में वृक्षारोपण का भी महत्वपूर्ण योगदान है। इसके लिए
जिले में आयोजित जल जगार उत्सव में ग्रामीणों द्वारा वृक्षारोपण के लिए की
जा रही तैयारी की जानकारी दी जा रही है। साथ ही सभी एकस्वर में वृक्षारोपण
करने की बात भी कह रहे हैं।
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