खगोल वैज्ञानिकों ने पृथ्वी का एक नया चॉंद खोज निकाला है। यह क्षुद्रग्रह सूर्य के साथ-साथ पृथ्वी की भी परिक्रमा लगा रहा है। इस को 2023FW13 करार दिया गया है और वैज्ञानिकों द्वारा इसको अर्ध चंद्र या अर्ध उपग्रह कहा जा रहा है। इस अर्ध उपग्रह का पृथ्वी का नया उपग्रह कहा जा रहा है क्योंकि यह सूर्य की परिक्रमा ठीक पृथ्वी के समय में ही कर रहा है। साथ ही यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव को भी प्रभावित कर रहा है। जिसके कारण वैज्ञानिकों के बीच में इसे लेकर दिलचस्पी बढ़ गई है।
क्षुद्रग्रह 2023FW13 का आकार करीब 50 फीट (15 मीटर ) है। जबकि यह पृथ्वी से करीब 14 मिलियन किलोमीटर दूर है। इस अर्ध-उपग्रह को खोजने के लिए विज्ञानियों ने PAN-STARRS नामक टेलिस्कोप का उपयोग किया था। इसको पिछले साल मार्च 2023 में खोजा गया था।
यह टेलीस्कोप हवाई प्रांत के मावी द्वीप पर स्थित एक विशुप्त
ज्वालामुखी हेलाकली पर स्थित है। वैज्ञानिकों द्वारा इसका उपयोग अंतरिक्ष
में नई खोजों के लिए किया जाता है। इस टेलीस्कोप के अलावा ऐरीजोना में
स्थित दो और टेलीस्कोपों ने भी इस अर्ध-उपग्रह के पृथ्वी की कक्षा में होने
और पृथ्वी की सूर्य की परिक्रमा करने के समय पर ही परिक्रमा करने की खबर
पर अपनी मुहर लगाई थी।
इस क्षुद्र ग्रह को आधिकारिक रूप से अंत्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा 1
अप्रैल को मान्यता दे दी गई थी। यह संगठन ही हमारे सौर मंड़ल के ग्रहों नए
उपग्रहों और ग्रहों की लिस्टिंग के लिए जिम्मेदार है।
क्षुद्रग्रह 2023FW13 को कैसे कहा गया अर्ध-चंद्रमा
वियोन न्यूज में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस क्षुद्रग्रह की लिस्टिंग
पर पत्रकार और खगोलविद् एडरिन कॉफिनेट की नजर पड़ी। उन्होंने क्षुद्रग्रह
के पथ को मैप करने के लिए एक कक्षा सिम्युलेटर का प्रयोग किया। कक्षा
सिम्युलेटर का विकास करने का श्रेय खगोलशास्त्र में शौक रखने वाले टोनी डन
द्वारा किया गया था। इस मॉडल में, 2023FW13 को पृथ्वी की तरह ही सूर्य के
चारों तरफ चक्कर लगाते हुए देखा गया था। चूंकि क्षुद्रग्रह हमारे ग्रह के
चारों ओर भी चक्कर लगा रहा था इसलिए कॉफिनेट ने इसको अर्ध-चंद्र कहा।
बोल्डर के स्पेस साइंस रिसर्च संस्थान के सीनियर वैज्ञानिक ने कहा कि पृथ्वी भी इस क्षुद्रग्रह को गति देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ऐसे में इसे अर्ध चंद्र कहना अभी जल्दबाजी होगी। वैज्ञानिकों के अनुसार क्षुद्रग्रह 2023FW13 करीब 100साल ईसा पूर्व से हमारी पृथ्वी के साथ है। इस क्षुद्रग्रह के 3700 ईसा पूर्व तक सूर्य के चारों और अपनी कक्षा में हमारी पृथ्वी का अनुसरण करने की संभावना सबसे अधिक है। कॉफिनेट ने कहा कि ऐसा लगता है कि यह अब तक ज्ञात पृथ्वी का सबसे लंबा अर्ध-उपग्रह है।
क्या धरती से टकरा सकता है यह क्षुद्रग्रह
वैज्ञानिकों के अनुसार यह क्षुद्रग्रह भले ही पृथ्वी के करीब घूम रहा हो
लेकिन इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना न के बराबर है, यह पृथ्वी के
गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र पर प्रभाव डालता है लेकिन इतना नहीं की कुछ गड़बड़
होने की संभावना हो।
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