ICICI से भी सैलरी ले रही थीं SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद कांग्रेस ने लगाए गंभीर आरोप

Views

 व्हिसलब्लोअर हिंडनबर्ग की सनसनीखेज रिपोर्ट के बाद सवालों के घेरे में आईं सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी पर कांग्रेस ने गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 2017 से 2024 तक वह ICICI बैंक से लगातार तनख्वाह ले रही थीं। उन्होंने दावा किया कि 7 साल के दौरान माधबी पुरी ने ICICI से 16 करोड़ 80 लाख रुपये कमाए।

खेड़ा ने कहा, 'सेबी एक रेग्युलेटर है। मिडल क्लास और हम सब जहां पैसा लगाते हैं उस मार्केट को रेग्युलेट करने की जिम्मेदारी सेबी की है। सेबी की चेयरपर्सन को कौन नियुक्त करता है। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सेबी की चेयरपर्सन को नियुक्त करने वाली एसीसी में ये दोनों लोग हैं। अभी तक हम लोगों ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट और अन्य बातों पर कई बार चर्चा की। हिंडनबर्ग रिपोर्ट और अडानी पर चर्चा की। मैं इससे भी भयानक सेबी की चेयरपर्सन की भूमिका बताता हूं।'

पवन खेड़ा ने कहा, 'आप सब लोग एक ही जगह से तनख्वाह लेते होंगे। लेकिन सेबी की चेयरपर्सन जब वह मेंबर थीं, 2017 से 2024 के बीच में रेग्युलर इनकम आईसीआईसीआई बैंक से ले रही थीं। यह रकम 16 करोड़ 80 लाख है। वह सेबी की ऑल टाइम मेंबर होकर ICICI से तनख्वाह क्यों ले रही थीं। वह बैंक से भी तनख्वाह ले रही थीं और ईशॉप से भी ले रही थीं। सेबी की चेयरपर्सन महत्वपूर्ण रेग्युलेटरी बॉडी की सबसे ऊंचे पद पर बैठी अधिकारी कहीं और से तनख्वाह ले रही हैं। यह सीधे-सीधे सेबी के सेक्शन 54 का उल्लंघन है। अगर किसी को थोड़ा भी शर्म हो तो वह तुरंत इस्तीफा देगा। '

उन्होंने कहा, '2017 से 2024 के बीच ICICI प्रूडेंशियल से इन्होंने 22 लाख 41 हजार रुपये लिए। आखिर ये पैसे क्यों लिए गए। क्या सेवाएं दी गईं? कांग्रेस प्रवक्ता ने टेबल के माध्यम से दावा किया कि सेबी की चेयरपर्सन ने कितना पैसे बैंक से और कितना पैसे प्रूडेंशियल से लिया। उन्होंने कहा कि 2018 में बैंक की तनख्वाह डबल हो गई।'

बता दें कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया था कि सेबी चीफ माधबी पुरी और उनके पति धवल पुरी बुच की हिस्सेदारी उन विदेशी कंपनियों में है जो कि अडानी समूह की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी है। इसके बाद पुरी दंपती ने बयान जारी कर इन आरोपों को खारिज किया था। उन्होंने कहा था कि उनका निवेश सेबी का सदस्य बनने से पहले का था। वह 2017 में सेबी की सदस्य बनी जबकि निवेश 2015 में किया गया था। सेबी ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि हिंडनबर्ग की रिपर्ट में एक डिस्क्लेमर भी है जिसमें कहा गया है कि जिन बॉन्ड्स की चर्चा की जा रही है, उनमें शॉर्ट पोजीशन भी रख सकीत है। सेबी ने कहा था कि सेबी ने अडानी समूह से जुड़ी जांचों को लगभग पूरा कर लिया है।