छत्तीसगढ़ में भेदभाव की नीति उचित नहीं-विद्युत मंडल की भांति प्रदेश के कर्मचारियों को भी डी ए, 12 हजार रू तक बोनस मिले-विजय झा

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 रायपुर‌ छत्तीसगढ़ राज्य समता के स्वरूप के लिए विख्यात है। किंतु राजनीतिक दृष्टिकोण से छत्तीसगढ़ में समता के आंगन में विषमता के बीज बोए जा रहे हैं, जो उचित नहीं है। कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने कहा है कि विद्युत मंडल के कर्मचारियों को केंद्रीय कर्मचारियों की भांति सभी लाभ लाभ दिया जा रहा है। जिसके तहत1 जुलाई 24 से 3 प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया जाकर 53% महंगाई भत्ता हो गया है। जबकि छत्तीसगढ़ राज्य के सभी कर्मचारियों अधिकारियों को 50% ही महंगाई भत्ता मिल रहा है‌ इसी प्रकार ₹12,000/- तक बोनस देने की मुख्यमंत्री की घोषणा,प्रदेश में भेदभाव को अंकुरित करने वाली है। इतिहास गवाह है कि अभिभाजित मध्य प्रदेश में कर्मचारियों की तीन श्रेणी जानी जाती थी। बड़े भाई के रूप में केंद्रीय कर्मचारी, मंझलें भाई के रूप में राज्य के कर्मचारियों तथा छोटे भाई के रूप में अर्थ शासकीय संस्थाएं, विश्वविद्यालय विद्युत मंडल आदि माने जाते थे। केंद्र सरकार द्वारा महंगाई भत्ता घोषित करने के बाद, राज्य सरकार के कर्मचारियों को महंगाई भत्ता मिलता था तथा राज्य सरकार के आदेश को आधार बनाकर विश्वविद्यालय विद्युत मंडल, निगम मंडल, अर्थ शासकीय संस्थाएं महंगाई भत्ता प्राप्त करती थी। अब प्रदेश में उल्टी गंगा बह रही है। विद्युत मंडल व विश्वविद्यालय अपने सदन में प्रस्ताव पारित कर निर्णय ले लेते हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण केवल विद्युत मंडल के कर्मचारियों को 3 प्रतिशत महंगाई भत्ता, ₹12000/-रू बोनस देने की घोषणा भेदभाव का परिचायक है। श्री झा ने कहा है कि प्रदेश में राज्य बनने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता कभी नहीं मिला है। देय तिथि से महंगाई भत्ता न देकर कर्मचारियों के एरियर्स को सरकार डकार जाती है। ऐसी स्थिति में जितने एरियर्स की राशि राजकीय कोष में प्राप्त हुआ है, उसका आधा राशि प्रदेश के कर्मचारियों को भी बोनस के रूप में दिया जाना चाहिए श्री झा ने मुख्यमंत्री भविष्य मंत्री से मांग की है कि दीपावली के पूर्व प्रदेश के कर्मचारियों को भी 3 प्रतिशत महंगाई भत्ता तथा बोनस देने का निर्णय लिया जावे।