नई दिल्ली. चीन में कोरोना वायरस के बाद HMPV के केसों में तेजी से इजाफा हो रहा है। भारत में भी अब तक तीन केस इसके पाए गए हैं। इनमें से दो बेंगलुरु शहर में हैं, जहां दो नवजात बच्चे पीड़ित पाए गए। इनमें से एक 3 महीने की बच्ची उबर गई है, जबकि 8 माह के एक बच्चे का फिलहाल इलाज चल रहा है। भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इस वायरस से चिंतित होने की कोई बात नहीं है और फिलहाल नजर रखी जा रही है। इस बीच पूरी दुनिया में ही चीन से फैले इस वायरस को लेकर अलर्ट की स्थिति है। 2020 में ही आए कोरोना की मार कई सालों तक झेलने वाली दुनिया एक बार फिर से महामारी के मुहाने पर न आ जाए, इसे लेकर सभी जगह खौफ है और लोग जानना चाहते हैं कि आखिर यह HMPV वायरस कितना खतरनाक है।
ऑस्ट्रेलिया के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट से जुड़े डॉ. जैकलीन स्टीफंस का कहना है कि यह वायरस बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है। खासतौर पर ऐसे बच्चे जो खांसी, जुकाम और निमोनिया जैसी समस्याओं से पीड़ित हैं। वह कहते हैं कि इसके संक्रमण से बचने के लिए भी कोरोना जैसी सावधानियां जरूरी हैं। बस अंतर यह है कि कोरोना वायरस बच्चों को ज्यादा शिकार नहीं बनाता था, लेकिन यह वायरस छोटे बच्चों और बुजुर्गों को ज्यादा चपेट में लेता है। चीन में इससे पीड़ित लोगों की बड़ी संख्या अस्पतालों में पहुंच रही है और यही कारण है कि दुनिया भर में कोरोना जैसी महामारी का डर है। हालांकि चीनी विदेश मंत्री माओ निंग ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि चिंता की बात नहीं है। सांस से संबंधित बीमारियां अकसर सर्दियों के दिन में बढ़ जाती हैं।
हालांकि एक राहत की बात है कि यह वायरस उतना जानलेवा नहीं है, जितना कोरोना था। डॉ. स्टीफंस का कहना है कि HMPV वायरस के लक्षण सर्दी औऱ बुखार जैसे होते हैं। सामान्य तौर पर कहें तो यह कॉमन कोल्ड जैसा होता है। स्टीफंस का कहना है कि HMPV वायरस से अलर्ट रहने की जरूरत है, लेकिन डरने जैसी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे पीड़ित मरीजों को कुछ समय रेस्ट करना चाहिए और उससे उन्हें आराम मिलेगा। वह कहते हैं कि इससे ऐसे लोग ज्यादा पीड़ित हो सकते हैं, जिन्हें पहले से ही सांस संबंधी कोई बीमारी हो। इसके अलावा ऐसे युवा लोग भी प्रभावित हो सकते हैं, जिनकी इम्युनिटी कमजोर हो।
वहीं ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों को यह आसानी से चपेट में ले सकता है। ब्रोंकाइटिस सीने में संक्रमण का ही एक प्रकार है, जो कई बार कमजोर इम्युनिटी के चलते होती है। जानकारों का कहना है कि इस बीमारी का फिलहाल कोई टीका नहीं है। ऐसे में इससे अलर्ट रहना जरूरी है। छोटे बच्चे ज्यादा चपेट में आ सकते हैं और उन्हें पाबंदियों के बारे में समझाना भी कठिन है। इसलिए जरूरी है कि घर के बड़े ही सावधानी बरतें और सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का पालन किया जाए। हालांकि एम्स के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया का कहना है कि इससे डरने की जरूरत नहीं है। HMPV वायरस पहली बार 2001 में पाया गया था। तब से ही यह चल रहा है, लेकिन यह कोरोना जितना खतरनाक नहीं है।
अब तक मिले केसों के बाद क्या बोली भारत सरकार
हेल्थ मिनिस्ट्री का कहना है कि हम इसके मामलों पर नजर रख रहे हैं। सरकार की ओऱ से जारी बयान में कहा गया है कि बेंगलुरु में पीड़ित पाए गए दोनों बच्चों के पैरेंट्स या परिवार से कोई भी अन्य सदस्य देश से बाहर नहीं गया था। सरकार का कहना है कि इन मामलों पर ICMR ने नजर बनाए रखी है। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी लगातार अपडेट्स मिल रहे हैं।
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